मन भागता देखो
मन भागता देखो
मन बहुत तेज गति से देखो भागता,
वायु से तीव्र गति से दौड़ता ।
संभालना इसको बड़ा मुश्किल,
कभी कहीं तो कभी कहीं यह जोड़ता।
हवाओं से विपरीत दिशा में बहता जाता,
हर वस्तु का आकर्षण खींचता इसको।
नर्क और दोजख की हर चीज सुहावन लगती ,
चुंबकीय शक्तिया इसको मनभावन दिखती।
बुराइयां सब अपनी ओर खींच इसको
कहांँ मन समझा ना पाए अब किसको।
अब कहां पुरातन प्रेम रहा कोई ठोर ठिकाना ना,
नशा प्यार का समाप्त हो जाता दैहिक संबंध जब हो जाता।
मन भागता देखो मधुशाला की ओर,
पीकर जिसे मदमस्त वह हो जाता हैं
वागवधू के कदमों पर सुरताल साथ थिरकता ,
नाचे देखो मदमस्त बाला पीकर मधु का प्याला।
समय के साथ बदलता जाता ,
मन देखो तेज गति से जाता।
कोई राज कचोरी खाता,
किसी को जिंदा मास है भाता।
मन चपरासी का ₹100 में खुश होता
बाबू को चाहिए हजार रुपए।
अफसर सेक्रेटरी को भाए 10000,
मंत्री का मन मांगे लाख।
मुख्यमंत्री को चाहिए ओर
सुरासुंदरी ने इलझ रहे।
मन की गति से तेज भाग रहे,
माया के पीछे हांफ रहे।
रूकना इनका काम नहीं।
संस्कारों की अब पहचान नहीं,
वक्त के साथ बदल रहा है सब।
मन तो देखो भाग रहा बस अब।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
17.8.2022
#नान स्टाप प्रतियोगिता हेतु
Palak chopra
29-Sep-2022 10:26 PM
Bahut khoob likha hai aapne 🌺💐🙏
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Gunjan Kamal
29-Sep-2022 08:15 PM
बहुत खूब
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Raziya bano
29-Sep-2022 08:10 PM
Nice
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